कर संरचना
कराधान प्रणाली की जटिलताओं से निपटने के लिए कर संरचना को समझना महत्वपूर्ण है। आइए कर संरचना के आवश्यक घटकों का पता लगाएं।
3.1 प्रत्यक्ष कर:
परिभाषा:
कर सीधे व्यक्तियों और संस्थाओं पर लगाया जाता है।
उदाहरणों में आयकर, कॉर्पोरेट टैक्स शामिल हैं।
प्रशासन:
केंद्रीय बोर्डों द्वारा प्रबंधित (आयकर के लिए सीबीडीटी, कॉर्पोरेट कर के लिए सीबीआईसी)।
प्रगतिशील प्रकृति:
उच्च आय स्तर के साथ कर दरें बढ़ती हैं।
3.2 अप्रत्यक्ष कर:
परिभाषा:
वस्तुओं एवं सेवाओं पर लगाये गये कर।
बिचौलियों द्वारा एकत्र किया जाता है लेकिन उपभोक्ताओं द्वारा भुगतान किया जाता है।
प्रकार:
जीएसटी, सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क।
3.3 प्रगतिशील बनाम प्रतिगामी कराधान:
प्रगतिशील कराधान:
उच्च आय वाले व्यक्ति अपनी आय का अधिक प्रतिशत करों में चुकाते हैं।
प्रतिगामी कराधान:
कम आय वाले व्यक्तियों पर अधिक बोझ डालता है।
3.4 टैक्स स्लैब:
आयकर स्लैब:
अलग-अलग स्लैब और अलग-अलग दरें।
विभिन्न आय श्रेणियों के लिए लागू।
जीएसटी स्लैब:
वस्तुओं और सेवाओं को अलग-अलग स्लैब में वर्गीकृत किया गया है (जैसे, 5%, 12%, 18%, 28%)।
3.5 दोहरा कराधान:
परिभाषा:
एक ही आय पर अनेक न्यायक्षेत्रों में कर लगाना।
बचाव के तरीके:
कर संधियाँ, विदेशी कर क्रेडिट।
3.6 कर योजना:
परिभाषा:
कर देनदारी को कम करने के वैध तरीके।
छूट, कटौतियाँ और क्रेडिट का उपयोग करना।
3.7 अनुपालन:
फाइलिंग आवश्यकताएँ:
रिटर्न दाखिल करने की समय सीमा का पालन करना।
आय और कटौतियों की सटीक रिपोर्टिंग सुनिश्चित करना।
3.8 हालिया परिवर्तन:
सरकारी सुधार:
कर कानूनों में हाल के संशोधनों पर अपडेट रहें।
नए नियमों के साथ तालमेल बिठाने के लिए रणनीतियों को अपनाना।